---------------- यह जीवन चंद दिन का है !!!!! --------------------
मुसाफिर क्यों पड़ा सोता
भरोसा है न एक पल का
दमादम बज रहा डंका
तमाशा है चला चल का !
सुबह जो तख्शाही पर
बड़े सज धज के बैठे थे
दुपहरे वक़्त में उनका
हुआ है बास जंगल का !
कहाँ है राम और लक्ष्मण
कहाँ रावन से बलधारी
कहाँ हनुमान से योद्धा
पता जिनके न था बल का !
भरोसा है न एक पल का
दमादम बज रहा डंका
तमाशा है चला चल का !
सुबह जो तख्शाही पर
बड़े सज धज के बैठे थे
दुपहरे वक़्त में उनका
हुआ है बास जंगल का !
कहाँ है राम और लक्ष्मण
कहाँ रावन से बलधारी
कहाँ हनुमान से योद्धा
पता जिनके न था बल का !
---------- कुछ अशायर फारसी के ----------
योगी न जती अकीलो दाना न बना दे
गर शाम बनाना है तो दीवाना बना दे
वो आह दे कि जिस से पत्थर भी पानी
वो दर्द दे जो तुझ को भी दीवाना बना दे
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हम भी सुकरात है एहदे नोके
तश्ना लभी न मर जाये यारो
जहर हो या मये आतशी हो
कोई जामे शहादत तो आये
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इतना लिहाज कर लिया ----- दुनिया तेरा परे भी हट !
रहने दो अहह सर्द ही
अच्हा है रंग ऐ जर्द ही
रहने दो दिल में दर्द ही
हमको दवा से कार क्या !
नेकी बदी खुशी गमी
जीना थी बामे यार की
जीना जरा दो यार का
पानी पया के कार क्या !
चाहे कोई अच्हा कहे
खा बड़ा बुरा कहे
नाचू हु संग शाम के
शर्मो हया से कार क्या !
इतना लिहाज कर लिया
दुनिया तेरा परे भी हट
नाचू हु संग शाम के
शर्मो हया से कार क्या !
Bazm-e-Ambareen: Zahid ne - Abida Parveen (Raqs-e-bismil)
Bazm-e-Ambareen: Zahid ne - Abida Parveen (Raqs-e-bismil): Us ka mukh ik jot hai ghoonghat hai sansaar Ghoonghat mein vo chup gaya mukh per aanchal daar(daal) (This might be pushing it, but this is m...
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