:::::::::: शाह मंसूर दी सूली :::::::::: ( Punjabi )

खानिया   ता   सबने   दो   ही   रोटियां   ने  
पर ईमानदारी दियां  दो बुर्कियाँ  ही  मिलदियां ने 
ईमानदारी  दी  बुर्की  ही  बहुत  हैं
भूखा  मरण   लई 


जरूरी  नहीं  कि  बेरोजगार  ही  मरदा  हैं 
की कत्ल करन लई हथियार दा होना जरूरी हैं
नहीं करदा हैं एकम दा चन्न वी कत्ल करदा 


हैं  ईमानदारी  दे  सच  नू  साबित  करना  हैं
ता   जरुरी   हैं  सूली   नू   मंजूर  कर 
तेरा जिंदा  होना  ही  कुछ  साबित  करदा  हैं
या सूली चड या एह काबुल कर कि तू इमानदार नहीं