BINDU JI ( By Bhagat Ram Darshan Ji )

कन्हिया  प्यारे  दुलारे   मोहन
बजा  दो  फिर  अपनी  प्यारी  बंसी
जो  भगत  बे सुध  है  जी  उठे ग़े
सुने ग़े  जिस दम तुम्हरी  बंसी

कभी बनी  बंसी प्रेम मूरत
कभी बनी  बनी बंसी ज्ञान सूरत
पड़ी  जो  सत्य कर्म  कि  जरुरत
तो गीता बनके पुकारी  बंसी
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तुम्हारी कृपा है तो दुश्मन का डर क्या
तुम्हारे गुलामो को खोफो ख़तर क्या
कृपा कि नज़र से जो तुम देखते हो
करेगी किस्सी कि भला बद नज़र क्या

बनाते जो बिगड़ी हुई बात जब तुम
बिगाड़े चीज़ कमतर  बशर क्या
गरीबो  के  अश्रुबिंदु  पर  तुम  जो    रूठो
कर लेगा  सारा  जहां  रूठ  कर  क्या