शायरी / Shayari

एक जरा हाथ बड़ा दे तो पकड़ ले दमन
उसके सिने में समा जाए हमारी धड़कन

इतनी कुर्बत है तो फासला इतना क्यों है

कोई ये कैसे बताए के वो तन्हा क्यों है

 इतदाये  इश्क  है  रोता  है  क्या 
आगे  आगे  देखिये  होता  है  क्या 

मकतबे  इश्क  का  दस्तूर  निराला   देखा 
उस  को  छुटी   ना   मिली  जिस  को  सबक  याद  हुआ 


ऐ   जोक   गर   है   होश   तो   दुनिया   से   दूर    भाग
इस   मक्तबे  काम   नहीं   होशियार   का
( One who is enlightened )




हम जैसों की नाकामी पर क्यों हैरत है दुनिया को
हर मौसम में जीने के आदाब कहाँ रखते हैं
जुल्माते   शब   में   निकलूगा  लेके   अपने  दरमान्दा   करवा  को 
अहह   मेरी   जरर   फिशा   होगी   नफस  मेरा   शोला   बाज   होगा 


हम दयारे-शब में उजाला बहुत ज़रूरी है
कहीं चिराग, कहीं दिल जलाये जाते हैं
हमीं बनायेंगे दुनिया कोई नई 'आलम'
अभी तो रेत पे नक्शे बनाये जाते हैं 

इश्क   ऩे   तेरे   सब  बल  दीये   निकाल
मुद्दत  से   आरज़ू   थी   सीधा  करे   कोई

  फिर नज़र से पीला   दीजिये 
होश  मेरे  उडा  दीजिये
छोड़िये  दुश्मनी  की  तपिश
अब  जरा   मुस्कुरा  दीजिये 

Badi   Be-reham    hai   roz   rang    badalati   hai


Kabhi   dosto  ki   tarah   to   kabhi   dushmano   ki tarah


Rafakate   janjir   pa   nahi    hoti



Na   Chal    sako   to   bichad    jao   dosto   ki    tarah .


Life is  cruel changes shades  now  and  then


Sometimes shade of life is like  of a friend and sometime of a foe


Relations in life should not be like chains thy feets


If one feel that closing chapter in a relation has come , one should move forward leaving the relation sweeter as friends and not creating bitterness in it like foes  while leaving
हम  भी  दरिया   है  हमें  अपना  हुनर   मालूम   है  
जिस  तरफ   भी  चल  पड़ेगे   रास्ता   हो  जायेगा

कोई ये कैसे बताए के वो तन्हा क्यों है
वो जो अपना था वही और किसी का क्यों है
ये ही दुनिया है तो आखिर एईसी ये दुनिया क्यों है
यही होता है तो आखिर यही होता क्यों है?  

एक जरा हाथ बड़ा दे तो पकड़ ले दमन
उसके सिने में समा जाए हमारी धड़कन

इतनी कुर्बत है तो फासला इतना क्यों है

कोई ये कैसे बताए के वो तन्हा क्यों है

दिल -  - बर्बाद से निकला नही अब तक कोई
एक लूटे घर पे दिया करता है दस्तक कोई

आस जो टूट गई फिर से बांधता क्यों है

कोई ये कैसे बताए के वो तन्हा क्यों है?  


तुम अस्सरत्त् का कहो या इसे गम का रिश्ता
कहते है प्यार का रिश्ता है जनम का रिश्ता

है जनम का जो ये रिश्ता तो बदलता क्यों है

कोई ये कैसे बताए के वो तन्हा क्यों है?  



कोई ये कैसे बताए के वो तन्हा क्यों है

वो जो अपना था वही और किसी का क्यों है

ये ही दुनिया है तो आखिर एईसी ये दुनिया क्यों है

यही होता है तो आखिर यही होता क्यों है