लगता नहीं है दिल मेरा , उजड़े दयार में ,
किसकी बनी है आलम -इ -ना pai'डर में ,
कह दो इन हसरतों से कहीं ओर जा के बसें ,
इतनी जगह कहाँ है दिल -इ -दागदार में ,
उम्र -इ -दराज़ मांग कर लाये थे चार दिन,
दो आरजू में कट गए , दो इंतज़ार में ,
कितना है बदनसीब 'ज़फर ' दफ़न के लीये ,
दो गज ज़मीन भी न मिली कु -इ -यार में ...!!!
किसकी बनी है आलम -इ -ना pai'डर में ,
कह दो इन हसरतों से कहीं ओर जा के बसें ,
इतनी जगह कहाँ है दिल -इ -दागदार में ,
उम्र -इ -दराज़ मांग कर लाये थे चार दिन,
दो आरजू में कट गए , दो इंतज़ार में ,
कितना है बदनसीब 'ज़फर ' दफ़न के लीये ,
दो गज ज़मीन भी न मिली कु -इ -यार में ...!!!