@@@@@@ बुल्ले यार @@@@@@@


जिस   पाईया  भेत  कलंदर  दा
राह  खोजया   अपने  अंदर  दा
सुख  वासी   हैं   मन   मंदर  दा
जिथे   चढ़दी  है  न   लेहदी  ऐ

मुंह  आई  गल  न  रेंदी  ऐ 

जे  मै  मैं   जाहिर  करा   इजहार  ताई
ता  तू   भुल   जावें   तकरार  ताई
पर  मारन  बुल्ले  यार  ताई
एथे  मख्फी   गल  सुहेंदी  ऐ

मुंह  आई  गल  न  रेंदी  ऐ

की  होया  जे  हो  गया  चेला
दीन दुनी थी रह गिया वेहेला 
भूरे दे विच  विच  वालेतेए  लेला
जद  कडो  तद  बोले  boooon

की  होया  जे  नाहता  धोता
सिजदे  दे  विच  रिहा  खलोता
 मक्के  भावे  लिजाये  खोता
कदे  न  बन दा  आदम  बो