Dr. IQBAL (Author Of " सारे जहां से अछा हिंदुस्तान हमारा " )

    मस्जिद   तो   बना   दी   शब्   भर   मे
इम़ा   की   हरारत   वालो   ऩे
मन  अपना   पुराना   पापी   है
बरसो  में   नमाज़ी   बन     सका

क्या  खूब  अमीरे--फैसल  को
सुनवासी  ऩे  पैगाम  दीया
तू  नामो -नसब का  हिजाजी  है
पर  दिल  का  हिजाजी  बन    सका

तर  आंखें   तो  हो   जाती   है
पर क्या  लज्जत  उस  रोने  में
जो चश्मे  दिले   की  अमेज़श  से
ये  अश्क  पियाजी  बन    सका

इक़बाल   बड़ा   उपदेशक  है
बन  बातो मे  मोह  लेता है
गुफ्तार  का  गाजी  तो  ये  बना
किरदार  का  गाजी  बन    सका