आजादी से पहले
ओर आज़ादी के बाद का
द्वन्द वर्तमान का
भगत सिंह कहता था
खेत में बन्दूक उगाऊंगा
पंकज त्रिपाठी कहते है अब
माँ मैं नोट उगाऊंगा
यकीनन इकॉनमी नोटो से चलती है
उगाने भी चाहिए देश हित में
पर पता नहीं क्यों लगता है मुझे
नोट के साथ बन्दूक भी उगानी चाहिए
हम आज़ाद होकर भी ग़ुलाम क्यों है अभी
लगता है बन्दूक कभी भी उठानी पड़ सकती है
( सप्रेम शहीद भगत सिंह जी और पंकज त्रिपाठी जी को भेंट )